Monday, 18 November 2013

सफ़ेद कागज़

किसी को लम्हात रुलाता है 
किसी को ख़यालात रुलाता है 
मेरा तो ये हाल है हमनशीं 
साथ लम्हात का ख़यालात रुलाता है 

किसी का प्यार दूजा हो गया 
किसी का प्यार पूजा हो गया 
मेरा तो ये हाल है हमनशीं
प्यार पूजा,मैं दूजा हो गया 

नाकामयाब मेरे इश्क़ कि मंज़िल 
हृदयघात अपने साथ कि मंज़िल 
मेरा तो ये हाल है हमनशीं
नाकामयाबी इश्क़,हृदयघात मंज़िल  

ये प्यार सपना बन जायेगा 
कोई और अपना बन जायेगा 
मेरा तो ये हाल है हमनशीं
अपना कोई सपना बन जायेगा 

पंक्तियों में मोहब्बत समेटता हुँ 
जहाँ में न समाये वो गम समेटता हुँ 
मेरा तो ये हाल है हमनशीं
रक्त भी सफ़ेद कागज़ में समेटता हुँ 

No comments:

Post a Comment