Friday 31 October 2014

भोपाल गैस त्रासदी : जिसे देश ने भूला दिया

वारेन एंडरसन की आज अमेरिका में मृत्यु हो गयी । आर्थिक वैश्विकरण के बाद देश में आए उद्योगीकरण और उससे जुड़े पैसे एवं खुशाली की बयार में लोगों ने इस मनुष्यरूपी दानव को भुला दिया । किसी नेता ने कभी उन मासूमों के हक़ में आवाज नही उठाई । कोई नेता इससे आजाद भारत के सीने पे सबसे बड़े बोझ के तौर पे याद नही करता । साल सन 1984 का ही था । देश में दंगे हुए थे । आज ही के दिन 30 साल पहले देश ने इंदिरा गांधी को खो दिया था । सब याद रह गया पर भोपाल गैस त्रासदी भुला दिया गया । दरअसल राजनीतिक हस्त-छेप नहीं था न । वरना मुर्दे कभी बिना गिने गाड़े नहीं जाते । 16000 आदमी या तो मारे गए या ज़िंदगी भर के लिए अपाहिज़ बना दिए गए । पंच-परमेश्वर ने सजा भी तय की थी,दो साल की । गौरतलब है की ये विश्व का अबतक का सबसे व्यापक औद्योगिक अपराध था । 2-3 दिसंबर के बीच की रात हुए इस त्रासदी के तुरंत बाद भारत आया । भोपाल की सैर भी की । सरकार की गाड़ी में उसे घुमाया गया । उसके बाद वो देश छोड़ के हमेशा के लिए चला गया । मध्य-प्रदेश में अर्जुन सिंह की सरकार थी और केंद्र में थें नवनिर्वाचित प्रधान-मंत्री और स्वर्गीय प्रधान-मंत्री इंदिरा गांधी के सुपुत्र राजीव गांधी । देश का सबसे बड़ा मुज़रिम विदेश से भोपाल पहुंचा, यहाँ तक की सरकारी गाड़ी में घुमा और फिर आराम से लौट गया । पर न अर्जुन सिंह ने ध्यान दिया और न राजीव गांधी को खबर मिली । बाद के सरकारों ने भी कुछ नहीं किया । हाँ एक तस्वीर है । बच्चे की ज़मीन में दबी एक खोपड़ी है । आत्मा को ताउम्र रुलाएगी । सिर्फ मेरी आपकी नहीं इस देश की धरती माँ पे एक ऐसा धब्बा है जो भोपाल की हवा की तरह कभी साफ़ नहीं होगा । आज जब विज्ञानं और उद्योगीकरण का ज़माना है तो युवा पीढ़ी के लिए महत्वपूर्ण है की इस घटना को याद में बसाया जाये । हाँ अगर मीडिया को ये हंगामा करने से फुरसत मिल जाये की सरदार पटेल किसकी "संपन्ति" है तो एक बार आज फिर भोपाल की काली रात को याद कर दो बूंद आँशु बहा लेने चाहिए । राजीव नहीं,अर्जुन नहीं और अब तो एंडरसन भी नहीं । जवाब देने वाला कोई नहीं । पर न्याय होगा । इस लोक में में नहीं, इहलोक में । पर फिर इस अंधे कानून का क्या काम ? और क्या काम इन ज़मीर विहीन सत्ता के बादशाहों का जिनके लिए सारा मुल्क दरअसल एक रखैल मात्र है जो उन्हें सुख देता है । अच्छा है की आज सरदार पटेल की जयंती भी है । पहली बार मीडिया इतने व्यापक तौर पे उन्हें याद कर रही है । शर्म की बात है की ऐसे राजनेता को भुला दिया गया जिसके लिए ये धरती माता थी और सत्ता जनता की सेवा का माध्यम मात्र ।

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