Wednesday, 14 August 2013

वो कही रहती है

तन्हा रातों मे रोती है
ऐसी भी पागल होती है 
वो किसी से मिलती नही
इन्तजार उसका जीवन है

सपनो का उसका राजकुमार है
सफेद घोडों पे चलता है
सजे बिन वो परिओं से कम नही
और सज जाये तो परी ही है

श्रृंगार उसका सादगी है
चरित्र ही अभिमान है
सुन्दरता का उसे होश नही
इठला के वो न चलती है

बच्चों सा भोलापन है
चंचलता पर तरुनि का है
सजने का उसे शौक नही
समझ पर पुरे यौवन का है 

हर गम सीने मे छुपाती है
किसी से वो न कहती है
दर्द उसे जमाने का नही
अपनों का ही दुख सहेजती है

मेरे गीत उसको समर्पित है
जो मेरे लिये जीती है
मेरे गम अब मेरे नही
उन्हे अपनी अमानत कहती है

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