Saturday 3 August 2013

ऐसी हो मेरी मेहबूबा

ऐसी हो मेरी मेहबूबा
मुस्कुराए तो कहीं फूल खिल जाये!
और जब रूठी नजर फेरे
तो दिलों पे बिजली दाल दे घेरे!!

हिमाचल के सेब भी हो फिकें 
गाल हो ऐसे सबनम के सलिके!
नागपुर  संतरे भुला दे
मखमलि होंठ से जो मुस्कुरा दे!!

पहने पटिआला का सलवार नीला
और दुपट्टा मलमल का पीला!
नजरे झुकाये जरा शर्माये
पैरों से मगर शरारत कर जाये!!

जताये वो मुझसे निगाहों से प्यार
मगर दुसरो को दिखाये हाथों का वार!
नजरें करे हर किसी से चार
मगर दिल से तो मेरी ही रहे यार!!

रेश्मि बाल हो बड़े बड़े
और आखें हिरणि से डरे डरे!
शरीर मे उसके हो वो बागपन
जल जाये देख हर किसी का मन!!

रहें उसकी बाहें गले मोहि
कलाईयाँ गोरी मैं चुमुँ थोरी!
मजा दिल से तो तब आये 
देख के पुरा शहर जल जाये!!

No comments:

Post a Comment