धुल का फुल बना आया हुँ
हर दास्तां दफना आया हुँ
कहते थे जो मिट जाओगे
आज उन्हे ही मिटा आया हुँ
जिस खाक में मिलने की बात थी
उसी के रथ पे हो सवार
ईंटा-पत्थर को ही बुनियाद बना
अपनी हस्ती बना आया हुँ
हाथों से अपने बनाऊँगा वो घर
बिजलीयाँ भले लाख गिरें
पर अश्क ना बहा है,न बहेगा
न छत गिरा है,न गिरेगा
तुफान भले लाख आये
वक्त भी दगा हो जाये
न ये शीश झुका है,न झुकेगा
न तो सुप्रीत मिटा है,न मिटेगा
हर दास्तां दफना आया हुँ
कहते थे जो मिट जाओगे
आज उन्हे ही मिटा आया हुँ
जिस खाक में मिलने की बात थी
उसी के रथ पे हो सवार
ईंटा-पत्थर को ही बुनियाद बना
अपनी हस्ती बना आया हुँ
हाथों से अपने बनाऊँगा वो घर
बिजलीयाँ भले लाख गिरें
पर अश्क ना बहा है,न बहेगा
न छत गिरा है,न गिरेगा
तुफान भले लाख आये
वक्त भी दगा हो जाये
न ये शीश झुका है,न झुकेगा
न तो सुप्रीत मिटा है,न मिटेगा
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