Tuesday, 3 September 2013

बसे तो युँ बसे

किसी की चंचल शोख़ अदाओं में
मुस्कराहट बन हम ही बसे 
किसी की तिरछी नजरों के जादू में 
क़यामत बन भी हम ही बसे 

किसी की तरसती लरजती बाहों में 
चाहत बन हम ही बसे 
किसी की शामों-सुबह के पूजा में 
दुआ बन भी हम ही बसे 

किसी की सरकती रंगीन आँचल में 
हया बन हम ही बसे 
किसी की लचकती कमर के घेरे में  
फंदा बन भी हम ही बसे 

किसी की महकती गोरी बदन में 
खुसबू बन हम ही बसे 
किसी की हसीं रातों के नींद में 
ख्वाब बन भी हम ही बसे 

किसी की हलचल भरे दिल में 
प्यार बन हम ही बसे 
किसी की सुनहरे भवीष्य के कामना में 
मोहाब्बत बन भी हम ही बसे  

किसी की बेशुमार बहती अश्रुओं में 
दर्द बन हम ही बसे 
किसी की धुंधली यादों के साये में 
कसक बन भी हम ही बसे 

बसे तो किसी में युँ बसे 
कि बस प्राण हो बसे 
फिर जो बिछरे तो युँ बिछरे 
ना हम बसे ना वो बसे 


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